Rumored Buzz on Shodashi
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Shodashi’s mantra encourages self-willpower and mindfulness. By chanting this mantra, devotees cultivate increased Command around their feelings and steps, leading to a more conscious and purposeful method of life. This profit supports personalized progress and self-discipline.
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
॥ इति त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः सम्पूर्णं ॥
वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।
वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।
सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
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रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
Cultural activities like people dances, tunes performances, and plays also are integral, serving as being a medium to impart conventional tales and values, Particularly for the more youthful generations.
Away from curiosity why her father did not invite her, Sati went for the ceremony Although God Shiva attempted warning her.
यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।